संरक्षित क्षेत्र का नाम : |
कान्हा टाईगर रिजर्व |
जिले का नाम : |
मंडला एवं बालाघाट |
वनमंडल का नाम : |
कोर जोन, बफर जोन एवं फेन अभ्यारण्य |
जी.पी.एस. : |
अक्षांश : 22 डिग्री 02 मिनिट 54.2 सेकिंड से 22 डिग्री 27 मिनिट 26.8 सेकिंड |
देशांतर : 80 डिग्री 26 मिनिट 10.8 सेकिंड से 81 डिग्री 07 मिनिट 15.9 सेकिंड |
क्षेत्रफल : |
कोर जोन (917.43 वर्ग कि.मी.) बफर जोन (1134.31 वर्ग कि.मी.) एवं फेन अभ्यारण्य (110.74 वर्ग कि.मी.) |
जैव विविधता संरक्षण का इतिहास : |
वर्तमान कान्हा राष्ट्रीय उद्यान एक प्रारूपिक भारतीय वन प्रांत था जिसमें अपने निवासियों तथा मवेशियों के साथ अनेक गांव/बस्तियाँ अवस्थित थीं। ये गांव करीबी वनों पर अपनी आवश्यकताओं तथा घास, ईंधन, इमारती लकड़ी एवं अनेक प्रकार के लघु वनोपज की मांग हेतु निर्भर करते थे। सौभाग्य से इन वनों के दर्जे में अभयारण्य (1933, 135 एवं 1974), राष्ट्रीय उद्यान (1955) एवं अन्तत: अब टाईगर रिजर्व (1973) के रूप में परिवर्तन ने इस क्षेत्र के पारस्थितकीय नवीनीकरण तथा जैव विविधता संरक्षण को वैज्ञानिक संवेग प्रदान किया है। अनवरत जैव विविधता संरक्षण उपायों ने वर्तमान वन प्रकारों की अवैध चराई एवं जलाई के कारण कुछ दबी हुयी वृक्ष प्रजातियों के विशिष्ठ निम्न तल एवं झाडियों के पुर्नउत्पादन में योगदान दिया है। राष्ट्रीय उद्यान के अनेक क्षेत्रों तथा बफर जोन की परिधि में वास्तविक वनस्पति का स्थापन हो गया है। अनेक स्थानों में 70 के दशक के बिगड़े हुये बांस वनों में निम्न तल की वनस्पति के रूप में अच्छी वृद्धि हो गयी है। उत्कृष्ठ रूप से प्रबंधित वन्यप्राणी आवास स्थलों ने पिछले वर्षो में अनेक प्रकार की शाकाहारी वन्यप्राणी प्रजातियों को बड़ी जैव संख्याओं को पोषित किया है जिनका सीधा प्रभाव मांसाहारी प्रजातियों, विशेषत: बाघ, की जैव संख्याओं पर पड़ा है। |
लेंडस्केप का विवरण : |
कान्हा मध्य भारतीय उच्च-भूमि में स्थित है जो मुख्य प्रायद्वीपीय भारत के विस्तृत पठार का एक भाग है। मैकल पर्वत माला कान्हा टाईगर रिजर्व की सबसे प्रमुख भू-आकृति है जो कि उत्तर-दक्षिण दिशा में जाती है। रिजर्व की पूर्वी सीमा पर स्थित यह पर्वत माला नर्मदा और महानदी के जलग्रहण क्षेत्रों के बीच की विभाजन रेखा है। भौगोलिक रूप से टाईगर रिजर्व पूर्व और उत्तर-पूर्व में हलोन घाटी तथा दक्षिण-पश्चिम एवं पश्चिम में बंजर घाटी से मिलकर बना है। चपटे शिखर वाली पहाडियां, जिन्हें स्थानीय तौर पर दादर कहा जाता है, लुढकती ढलानें, घाटियाँ एवं विराट घास मैदान लेंडस्केप की मुख्य विशेषताएं है जिनमें साल, मिश्रित वनों तथा घास मैदानों के विभिन्न वानस्पतिक आच्छादन समाहित है। |
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वन का प्रकार : |
1. नम प्रायद्वीपीय साल वन (मॉइस्ट पैनिनसुलर साल फॉरेस्ट)
- उच्च साल वन (हाई लेवेल साल)
- निम्न साल वन (लो लेवेल साल)
- घाटी साल वन (वेली साल)
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2. A) दक्षिण उष्ण कटिबंधीय नम मिश्रित पर्णपाती वन (सदर्न ट्रॉपीकल मॉइस्ट मिक्स्ड डेसीडुअस फॉरेस्ट)
2. B) दक्षिण उष्ण कटिबंधीय शुष्क मिश्रित पर्णपाती वन (सदर्न ट्रॉपीकल ड्राई मिक्स्ड डेसीडुअस फॉरेस्ट)
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वनस्पति एवं वन्यप्राणी : |
संरक्षित क्षेत्र की पुष्पीय विविधता लगभग 10 प्रकार के पुष्पधारी पौधों की 850 प्रजातियों से निर्मित है जो कि 506 वंश एवं 134 कुलों तथा 22 प्रजातियों के टेरीडोफाईट 14 वंशों एवं 14 कुलो से संबंधित है। इस पुष्पीय विविधता में 2 वंश तथा 2 कुलों से संबंधित 2 प्रजातियों के जिम्नोर्स्पम भी है। इन पुष्पीय पौधों में 50 प्रजाति के जलीय पौधे एवं 18 प्रजाति के दुलर्भ पौधे भी सम्मिलित है। संरक्षित क्षेत्र में पोएसी कुल 66 वंशों की 109 प्रजातियों के साथ सबसे प्रभावशाली है।
संरक्षित क्षेत्र अनेक प्रकार की जीव प्रजातियाँ संजोये हुये है। बाघ एवं हार्ड ग्राउंड बारासिंघा के अतिरिक्त अन्य प्रजातियाँ तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भालू, चिकना पानी कुत्ता, गौर एवं भारतीय अजगर है। यहां 300 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ, 43 स्तनपायी, 26 सरीसृप एवं 500 से अधिक कीट प्रजातियाँ है।
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रहवास का विवरण : |
कान्हा कोर जोन कुछ आवास स्थालों के मोजेकों से मिलकर बना है जो कि विभिन्न वन्यप्राणी की जैव संख्याओं को प्रश्रय देते है। इन आवास स्थल प्रकारों को उन पर निर्भर वन्य प्राणी जैव संख्याओं के पोषण हेतु स्वस्थ रखने के लिये नियतकालिक अनुश्रवण एवं प्रबंधकीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। वैसे तो मुख्यत: दो प्रकार के आवास स्थल, क्रमश: वन एवं घास मैदान है, कान्हा कोर जोन के आवास स्थलों का विस्तृत वर्गीकरण निम्नानुसार प्रकार समावेशित करता है : साल वन, मिश्रित वन, मिश्रित वन के साथ बास, घास मैदान, घास मैदान के साथ झुरमुट, बडे खुले क्षेत्र, वन एवं घास मैदानों के जुडाव तथा नदी-नालों से लगे क्षेत्र। तथापि कुछ भू-आकृति उदभव वाले विशेष स्थल भी है जो कि वन्यप्राणियों को प्रभावित करते है। इन स्थलों को भी विशेष आवास स्थल प्रकार माना जाता है : गुफा, माँद/खोह, चट्टानी छज्जा , पत्थरों का ढेर एवं नमक छापर। |
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पर्यटन जानकारी : |
1. पर्यटन प्रवेश द्वारा का विवरण :
- खटिया, मुक्की एवं सरही प्रवेश द्वार
2. पर्यटन जोन :
- किसली जोन, कान्हा जोन, मुक्की जोन एवं सरही जोन
3. पर्यटन धारण क्षमता :
- प्रात: 83 वाहन एवं सायं : 57
4. ठहरने की व्यवस्था :
ठहरने की व्यवस्था |
कमरों की संख्या |
बिस्तरों की संख्या |
वन विश्राम गृह, किसली |
7 |
14 |
वन विश्राम गृह, मुक्की |
4 |
8 |
कान्हा जंगल केम्प (पुराना) |
18 |
36 |
कान्हा जंगल केम्प (नया) |
10 |
20 |
खटिया डोरमेट्री |
3 |
20 |
5. पहुंचने की व्यवस्था :
- रेल मार्ग :
- जबलपुर (मध्य रेल) एवं नागपुर (मध्य रेल
- सड़क मार्ग :
- जबलपुर – मंडला – बम्हनी – जहरमऊ – खटिया – किसली : 155 कि.मी.
- जबलपुर – मंडला – बम्हनी – जहरमऊ – टाटरी – बैहर – मुक्की : 189 कि.मी.
- जबलपुर – मंडला – बिछिया – सरही : 154 कि.मी.
- नागपुर – सिवनी – नैनपुर – चिरईडोंगरी – खटिया – किसली : 255 कि.मी.
- नागपुर – सिवनी – नैनपुर – चिरईडोंगरी – टाटरी – बैहर – मुक्की : 280 कि.मी.
- नागपुर – सिवनी – मंडला – बिछिया – सरही : 305 कि.मी.
- नागपुर – सिवनी – बालाघाट – बैहर – मुक्की : 287 कि.मी.
- रायपुर – सिमगा – कवर्धा – चिल्फी - सूपखार – मुक्की : 178 कि;मी.
- रायपुर – सिमगा – कवर्धा – चिल्फी - सूपखार – मुक्की – बैहर – टाटरी – खटिया – किसली : 248 कि.मी.
- रायपुर – सिमगा – कवर्धा – चिल्फी - मोतीनाला – सिझौरा – सरही : 190 कि.मी.
- बिलासपुर – पंडरिया – चिल्फी - सूपखार – मुक्की : 188 कि.मी.
- बिलासपुर – पंडरिया – चिल्फी - मोतीनाला – सिझौरा – सरही : 183 कि.मी.
- गोंदिया – बालाघाट – बैहर – मुक्की : 125 कि.मी.
- गोंदिया – बालाघाट – बैहर – मुक्की – गढ़ी – सरही : 200 कि.मी.
- राजनांदगांव – खैरागढ़ – मलांजखंड – मुक्की : 181 कि.मी.
- राजनांदगांव – खैरागढ़ – मलांजखंड – मुक्की - गढ़ी – सरही : 246 कि.मी.
- वायु मार्ग :
- जबलपुर, रायपुर एवं नागपुर (खटिया में एक स्थायी हेलीपेड की व्यवस्था)
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वेबसाइट संबंधी विवरण : |
www.kanhatigerreserve.com |
क्षेत्र की विशिष्टता : |
टाईगर रिजर्व प्रारूपिक मध्य भारतीय साल एवं मिश्रित वन तथा घास मैदानों को संजोये है तथा यहाँ अनेक प्रकार की पुष्पीय एवं जैव प्रजातियाँ पायी जाती है। यह संरक्षित क्षेत्र कुछ संकटग्रस्त जैव प्रजातियों जैसे बाघ एवं कड़ी भूमि के बारासिंघा के संरक्षण हेतु विश्व विख्यात है। |
सम्पर्क सूत्र : |
क्षेत्र संचालक, कान्हा टाईगर रिजर्व, मंडला (म.प्र.), फोन: 07642-250760 (कार्यालय), फैक्स: 07642-251266 (कार्यालय), ई-मेल dirkanhanp@mpforest.org, fdkanha@rediffmail.com |
प्रचार : |
इनोवेशन एवं बेस्ट मेनेजमेंट प्रेक्टिसेस 7.99MB |
आनलाईन बुकिंग : |
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टाईगर कंसर्वेशन प्लान |
बफर जोन 2.37MB |
कोर जोन:- |
भाग - एक 3.84MB |
भाग - दो 4.49MB |